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मंगलवार, 31 जुलाई 2018

श्रीखंड कैलाश यात्रा भाग -4 भीमद्वारी से घर

इस यात्रा को शुरू से पड़ने के लिए यहाँ क्लिकl करे
पूरी रात मुश्किल से कटी टांगे पूरी अकड़ गई थी। सुबह उठे तो रजाई से निकलने का मन नही कर रहा था ।मेरी टांगे इतनी दर्द कर रही थी कि दिल कर रहा था आज सारा दिन यही लेटा रहूँ।लेकिन घर तो जान ही पड़ेगा तो सब से पहले चाय बनवा कर पी फिर सामान पैक करने लगे ।जो कपड़े कल पहने थे वो सारे गीले हो गए थे और मेरे पास सिर्फ एक शर्ट ही थी जो पहन रखी थी इस लिए पैंट की जगह मैंने रेनकोट वाली पैंट ही पहन ली।अब बाकी सारा सामान पिठु बैग में डालना था लेकिन कपड़े गीले होने की वजह से पूरे कपड़े बैग में बड़ी मुश्किल से आये और जैकेट तो बाहर ही रह गई चलो इसको ऐसे ही उठा लूंगा। तभी शंकर जोशी भी आ गया।हमारे पास कुछ मैगी के पैकेट थे हमने वो रोहित की दादी को दे दिए बनाने के लिए तब तक हमने पैसो का हिसाब कर लिया ।मैं और बब्बू तो 2 दिन बाद  आज बाहर हल्के होने के लिए चले गए ।जितना आराम पेट साफ होने पर आया उतनी ही तकलीफ पानी के ज्यादा ठण्डे होने के कारण हुई।वापिस टेंट में आए तो मैगी भी बन गयी थी सभी ने मैगी खाई ।रोहित और उसकी दादी आज नीचे जा रहे थे हमने बोला हमारे साथ चलो तो वो बोले हमे  जल्दी है आप धीरे धीरे आ जाना हम चलते है।मैगी खाने के बाद हम ने अपना सारा सामान चेक किया कुछ छुटा तो नही और चल पड़े वापिस नीचे  की और।
        मौसम बिल्कुल साफ था धूप खिली हुई थी और हमारे चेहरे भी हमारे मतलब सिर्फ मेरे और बब्बू के अक्षय और जोशी को दर्शन नही हुए थे इस लिए वो थोड़े उदास थे।हमने एक बार भोले का जैकारा लगाया ।अभी रास्ता ठीक था ज्यादा मुश्किल नही था पर मेरे घुटनो में अब भी तकलीफ थी लेकिन हम चलते रहे। जोशी आज भी आगे निकल गया । इस आदमी को ग्रुप में यात्रा करने का बिल्कुल भी नही पता था।लेकिन हम तीनों आराम से चलते रहे।थोड़ी देर बाद वही जगह आ गई जहां पर हमने जाते हुए घर फ़ोन किए थे अब दोबारा फ़ोन चैक किए पर नेटवर्क नही था ।तभी हमे दो लोकल लड़के फ़ोन पर बात करते हुए मिले हमने उनसे फ़ोन मांगा तो उन्होंने बड़े प्यार से फ़ोन दे दिया। हमने अपने अपने घर फोन पर बात की ।ये दोनों भाई थे और भीम द्वारी में दुकान लगा रहे थे अभी नीचे से  सामान लेने जा रहे हैं। चलते चलते हम बाते भी करते रहे ।इन्होंने बताया ये पहली बार टेंट लगा रहे है ।इनको 2 लोगो वाले टेंट लेने थे इस लिए हमने इनको अपने टेंट बेचने की बात कर ली और ये मान गए।थोड़ा चलने के बाद मुझे चलने में फिर तकलीफ होने लगी ।तो एक लड़के ने मेरा बैग उठा लिया और दूसरे ने बब्बू का अब कुछ आराम मिला।
        जोशी तो अब दिखाई भी नही दे रहा था पत नही क्या जल्दी थी उसे नीचे जाने की ।लेकिन मुझे न तो कोई जल्दी थी न ही हिम्मत थी कि जल्दी नीचे उतर जाऊ। थोड़ी देर तो सब साथ ही चलते रहे पर फिर  बब्बू भी आगे निकल गया अक्षय भी थोड़ा आगे ही चल रहा था।पर ये दोनों रुक जाते थे ता के मैं पास आ सकू।आज भी यात्री कम और नेपाली ज्यादा मिल रहे थे।जितना उत्साह हमे यात्रा पर ऊपर जाते हुए होता है वापिस आते हुए उतना नही रहता ।अब चलते चलते कुंशा भी आ गया पर यहाँ रुक कर क्या करना था इस लिए चलते रहे।अब वो दोनों लोकल लड़के और बब्बू आगे निकल गए काफी आगे ।अक्षय थोड़ा ही आगे चल रहा था और मैं तो रेंग ही रह था जो मेरी स्पीड थी उसे चलना तो बोल नही सकते इस लिए रेंग रहा था लिखा। अब भीम तलाई आ गया यहाँ पर दो कुत्ते हमारे साथ चल रहे कुत्ते पर भोकने लगे मुझे लगा अब इनकी लड़ाई होगी। अगर वो कुत्ते मेरी तरफ आ गए तो मैं क्या करूँगा जिस हालत में हूँ भाग भी नही सकता।लेकिन ये आपस मे ही भोंकते रहे  ।भीम तलाई के बाद एकदम सीधी चड़ाई आ गई ।अक्षय बोला रुपिंदर भाई अब तो चड़ाई आ गयी और आप को तो चड़ाई अच्छी लगती है अब तो खुश हो पर अब मेरी जो हालत थी उस हिसाब से चड़ाई भी मुझे बुरी लग रही थी।एक पंगा यहाँ पर ये भी था हम सही रास्ते की जगह शॉटकट पर चल पड़े ।ये हमने जानबूझकर नही किया था बल्कि गलती से हो गया।रास्ते मे हल्की सी स्लाइडिंग की वजह से पत्थर ही पत्थर थे ।ये स्लाइडिंग पहले हुई होगी कभी। चड़ते समय पथर भी सरक रहे थे ।अब बब्बू भी काफी देर से  दिखाई नही दे रहा था वो दोनों लड़के भी आगे चले गए थे। धूप की वजह से गर्मी भी बहुत हो गई थी । एक दो जगह तो हमे पता ही नही चला कि अब किस तरफ जाए अक्षय आगे था तो वो मुझे पूछता भाई अब किधर जाए तो एक बार रुक कर आराम से देखते फिर कोई निशान दिखता तो उस तरफ चलते। अब हम सही रास्ते पर आ गए थे ।जब भी कोई नेपाली मिलता तो उस से पूछते भाई काली घाटी कितनी दूर है तो वो बोलता 10 मिनेट में पहुँच जाओगे पर हम एक घंटे में पहुंचे। जब काली घाटी पहुंचे तो बब्बू और जोशी वही थे । यहां पर  चाय पी और साथ मे कल का बचा थोड़ा सा नमकीन भी खाया। जहाँ पर दुकान वाले से जीजा जी के बारे में पूछा तो उसने बताया वो तो कल सुबह ही थाचडू चले गए थे।हम यहाँ थोड़ी देर आराम करने के बाद चल पड़े ।आराम करने की वजह से अब कुछ अच्छा लग रहा था और रास्ता भी बडिया था हम तेजी से नीचे उतरने लगे यहाँ  भी ये तीनो मेरे से आगे निकल गए मैं अपनी स्पीड से चलता रहा ।काली घाटी से थाचडू तक का रास्ता ज्यादा मुश्किल नही है ना तो जाते समय न आते समय। कुछ देर बाद थाचडू भी आ गया तीनो उसी दुकान में बैठे थे जहाँ जाते समय हम अपना सामान छोड़ कर गए थे। यहाँ पर हमने थोड़ा आराम किया जो सामान छोड़ा था उसे उठाया और जीजा जी के बारे में पूछा तो दुकान वाले ने बताया वो तो कल ही नीचे चले गए थे।तभी जीजा जी का फ़ोन भी आ गया वो तो जाओ से भी चले गए थे पूछ रहे थे रामपुर रुकू जा न मैंने बोला आप निकल लो हम आ जायेंगे।
यहां पर भी जोशी ने अपना पागलपन दिखा दिया जो लड़के हमे ऊपर मिले थे उन्हें मैंने एक टेंट 2500 का बेच दिया था वो दो टेंट मांग रहे थे एक मेरा और बब्बू का था एक जोशी का  जोशी भी बेचने के लिए मान गया था जिस दुकान में हम अब रुके थे उसने भी टेंट मांग लिया पर वो एक टेंट ही ले रहा था ।जोशी ने उसे 2000 में दे दिया जब के मैं 2500 में बिकवा रहा था। तभी वो लड़के बोले हम एक टेंट नही लेंगे हम दोनों लेंगे ।फिर बड़ी मुश्किल से जोशी का वो टेंट वापिस लिया और मैंने फिर जोशी को बोला भी भी जब हमारी बात उन लड़कों के साथ हो गयी तो तुमने इस दुकान वाले को टेंट क्यों बेचा वो भी 500 कम में और ऊपर से उन लड़कों के सामने अब वो लड़के भी 2000 का टेंट मांगेंगे। चलो दुकान वाले से टेंट वापिस लेकर हम नीचे की और चल पड़े। सबसे आगे जोशी फिर बब्बू फिर वो लड़के फिर अक्षय और आखिर में मैं चल रहा था। 
आज से पहले मुझे कभी घुटनो में इतनी तकलीफ नही हुई थी मैने दो बार अमरनाथ यात्रा बालटाल और पहलगाम दोनो तरफ से मणिमहेश और पिछले साल किन्नर कैलाश की थी वैष्णोदेवी भी बहुत बार गया हूँ ।इस बार शायद थाचडू की चड़ाई पर जीजा जी काऔर अपना बैग उठाने के कारण ये हाल हुआ है। थाचडू के बाद पेड़ फिर शुरू हो गए थे इस लिए धूप नही लग रही थी ।अब ये सभी मेरे से काफी आगे निकल गए थे मैं धीरे धीरे चल रहा था। अब मुझे न कोई चढ़ता हुआ मिल रहा था न कोई उतरता हुआ मैं बस अकेला चल रहा था मेरे पास सिर्फ 300 ml की बोतल थी पानी की ।
  मुझे 1 घण्टे से ज्यादा हो गया था चलते हुए इस जंगल मे बिल्कुल अकेला उसके बाद मुझे कुछ नेपाली उतरते हुए मिले मैंने उनसे पूछा बराटी नाला कितनी दूर है वो बोले 1 घंटे में पहुंच जाओगे। करीब करीब 1 घंटे बाद मुझे दो आदमी दुकान के लिए टेंट लगाते हुए मिले उनसे फिर पूछा बराटी नाला कितनी दूर है बोले 1 घण्टे से ज्यादा लगेगा भाई बराटी नाला भी चल  रहा है क्या एक घण्टे पहले भी यही उत्तर मिल था मुझे वो भोले आप की जो स्पीड है उस हिसाब से आप एक घण्टे में भी मुश्किल से पहुंचोगे । प्यास बहुत लग रही थी पानी सिर्फ 100ml बचा था सोचा जब तक बिना पानी के चल सकता हूँ तब तक इसे बचा कर रखूंगा ।
शाम हो गयी थी अब तो सिर्फ  पंछियो की आवाजें ही सुनाई दे रही थी ।दिल कर रहा था यही किसी दुकान में सो जाऊ सुबह चला जाऊंगा एक दो दुकाने मिली भी पर पैसे तो बैग में थे और बैग वो लड़को के पास था एक बार सोचा अपना छोटा फ़ोन दे दूंगा और कहूंगा भाई इस के बदले में एक रात गुजार लेने दो आपके टेंट में। फिर  सोचा थोड़ा और चल लेता हूँ फिर देखूंगा ।अब तो कोई नेपाली जा लोकल भी मिलने बन्द हो गए थे मेरी स्पीड बहुत कम हो गई थी ।तभी दो लड़के आते हुए मिले आते ही उन्होंने पानी मांगा मैंने अपनी बोतल दे दी वो बोले आप क्या पिओगे बराटी नाले तक पानी नही मिलेगा और आप 2 घण्टे तक नही पहुंच सकते अरे भाई पानी नही मिलेगा ठीक है पर ये क्या बोल दिया अभी और दो घंटे लगेंगे वहाँ तक ।वो बोले आप की जो स्पीड है उस हिसाब से 2 घण्टे में पहुंच जाओ तो अच्छा है अरे यार सभी मेरी स्पीड की बात क्यू करते है अब इसमें मैं क्या करूँ कैसे स्पीड बढाऊँ । चलो मैंने बोला एक घूंट छोड़ देना पानी बाकी पी लो 100-150 ml में से कितने क घूंट बनते उन्हो ने एक एक घूंट पिया एक दो घूंट मेरे लिए छोड़ दिया । मैंने इनसे अक्षय और बब्बू के बारे में पूछा वो बोले वो  आप से आधा घंटा आगे है । मतलब मेरी जिस स्पीड की वजह से मेरी दो तीन बार बेइजती हुई थी वो इतनी भी बुरी नही थी ।अब मुझे लगा थोड़ी तेजी से तो  चलना ही होगा नही तो अंधेरा हो जाएगा पर घुटनो में इतना दर्द था तेज चल ही नही पाया
 । अब हल्का सा अंधेरा होने लगा था तभी मुझे लगा आगे कोई जानवर बैठा है शायद भालू है।पहले तो मैं धीरे धीरे चल भी रहा था अब तो हालत खराब हो गई थी ।थोड़ी हिमत करके मैं चल पड़ा जब उस जगह पहुंचा तो देखा जिसे मैं भालू समझ रहा था वो तो एक पेड़ का जला हुआ तना था अब मेरी सांस में सांस आई । मैंने इस तने को देख कर सोच भी  ऊपर से किस एंगल से ये भालू लग रहा था।पर कई बार जब आप इस तरह के जंगल मे बिल्कुल अकेले चलते हो तो आप के मन मे ऐसे विचार आ ही जाते है।थोड़ा और चलने पर  एक जगह मुझे खाली टेंट लगा हुआ  मिला यहाँ रुकने के पैसे भी नही देने पड़ेंगे सोचा यही रुक जाता हूँ । फिर सोचा बब्बू और अक्षय मेरी फिक्र करेगे चलो करते है तो करने दो मैं तो यही सोऊंगा और सुबह जल्दी निकल जाऊंगा ।पर फिर भालू याद आ गया भालू याद आते ही सीधा चल पड़ा तभी मुझे हल्की सी आवाज सुनाई दी ये तो नाले के पानी की आवाज थी मतलब बराटी नाला पास ही है पर मेरी स्पीड काफी कम थी इस लिए काफी देर चलने पर नाला दिखाई नही दिया तभी फ़ोन की घंटी बजी अक्षय का था बोला कहा हो भाई मैंने कहा आधे घण्टे में पहुंच जाऊंगा ।थोड़ा ही चला था घर से फ़ोन आ गया बाते करते करते नाले के पास पहुंच गया। आश्रम से पहले एक छोटा सा मंदिर आता है उसके बाद एक पुल पार करके थोड़ा चलके आश्रम आता है पर जब इस मन्दिर के पास पहुंचा तो मुझे लगा मैं फ़ोन पर बाते करता हुआ गलत रास्ते पर आ गया जबकि रास्ता सिर्फ एक ही है ।अंधेरा भी काफी हो गया था मैंने अक्षय को फ़ोन लगाया फ़ोन नही मिला फिर बब्बू को फ़ोन लगाया उसका भी नही लगा ।मुझे याद ही नही रहा के हम इसी रास्ते से गये थे । थोड़ी देर बाद सोचा पुल पार कुछ तो होगा चलकर देखता हूँ थोड़ा चलने के बाद दूर रोशनी नजर आ रही थी पास पहुंचा तो ये बाबा जी का आश्रम था। अंदर जाते ही बब्बू और अक्षय को आवाज लगाई ये एक तरफ टेंट में बैठे थे मैं भी वही चला गया सामान रखा और इनके पास लेट गया । ये मेरे से कोई 45 मिनेट पहले पहुंच गए थे ।अभी अच्छी तरह लेटा भी नही था तभी एक आश्रम का सेवादार आकर बोला लंगर खा लो। दिल तो नही कर रहा था पर थोड़ा सा खा लेता हूँ सोच कर चला गया  ।खाना खा कर दुबारा वही आ गए लेटते ही दुबारा सेवादार बोला दूसरे कमरे में सो जाओ  यहाँ चूहे बहुत है ।बड़ी मुश्किल से खड़ा हुआ और दूसरे कमरे में चले गए वहाँ जाकर घुटनो पर मूव लगा कर गरम पट्टी बान्धी और स्लीपिंग बैग में घुस  गया ।यहाँ पर और भी काफी लोग थे इनमे से एक हरयाणा से भी था वो थाचडू भी नहीं पहुंचा था रास्ते मे से ही वापिस आ गया था ।वैसे भाई का शरीर भी थोड़ा साइज में बड़ा था इस लिए भी दिक्कत हुई होगी ।इन सब से थोड़ी देर बाते की फिर हम सो गए।
रात को नींद अच्छी आई पिछली रात नही सो पाया था इस लिए भी आज नींद आ गई थी।सुबह 5 बजे के करीब उठ कर चल पड़े जोशी भी रात यही रुका था ।आज फिर ये तीनो आगे और मैं पीछे था लेकिन आज मैं ज्यादा पीछे नही रहा आज मेरी स्पीड भी ठीक थी । सुबह जब बराटी नाले से चला था तो पानी की बोतल लेनी भूल गया था प्यास लग रही थी पर पानी नही था । आज काफी नेपाली ऊपर सामान लेकर जा रहे थे आज इनमे कुछ औरते भी थी। अब मैं सिंहार्ड  पहुंच गया यहां आज भी कोई नही था। मैं बिना रुके आगे निकल गया। थोड़ी देर बाद घर भी नजर आने लगे यहाँ पर लोग खेतो में काम कर रहे थे ।एक घर मे एक औरत छत पर खड़ी थी मैने उस से पानी मांगा उसने एक बोलत पानी दे दिया और बोली बोतल साथ ले जाओ रास्ते मे काम आएगी । थोड़ी दूर मुझे जोशी जाता हुआ नजर आया आज वो ज्यादा तेज नही चल रहा था।अब जाओ गाव भी पास ही था। आधा घंटा चलने के बाद मैं वही पहुंच गया जिस दुकान से हमने जाते समय चाय पी थी ।बब्बू ,अक्षय और जोशी यही बैठे थे। जाते ही सब सामान रखा और दुकान वाले को बेकार परांठो के लिए धन्यवाद किया ।एक एक कप चाय भी बनवा ली तब तक अपने फ़ोन चार्ज कर लिए और चाय पी कर  हम बस स्टैंड की और चल पड़े ।रास्ते मे हमे एक खुमानी का पेड़ दिखा बब्बू और अक्षय तो रुके नही पर मैंने और जोशी ने डण्डे से कुछ खुमानी तोड़ ली कुछ खा ली और कुछ उन दोनो के लिए रख ली।बस स्टैंड पर ही उन लड़कों की दुकान थी जिनको हमने टेंट देने थे।पर अभी  यहाँ पर उनके पिता जी थे तो उन्हें ही टेंट चैक करवा कर पैसे लिए ।थोड़ी देर बाद ही बस भी आ गई ।अब एक बार फिर भोले को नमस्कार किया और बस में चड़ गए बस में भीड़ बहुत थी कन्डक्टर बोला बाघीपुल जा कर बस खाली हो जाएगी और हमे बघिपुल तक खड़े खड़े ही सफर करना पड़ा।रामपुर आ कर जोशी तो सीधा चंडीगड़ वाली बस में बैठ गया मैं और बब्बू नहाना चाहते थे इस लिए एक कमरा लिया यही पर अक्षय भाई से पैसो का हिसाब किया और अक्षय  भी चला गया ।हम दोनों पहले नहाए फिर खाना खाया और बस मे बैठ गए रात को 2 बजे के करीब चंडीगड़ और वहां से 5 बजे वाली बस पकड़ कर 8 बजे घर पहुंच गए



4 टिप्‍पणियां:

  1. चित्रों की कमी खल रही है भाई।

    लिखा बहुत ही अच्छा है आपने। लिखने में पहले से बहुत अधिक सुधार है और आशा करता हूं आगे इससे भी अच्छा लिखेंगे

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    1. भाई आप को बताया तो था सभी फ़ोटो डिलीट हो गए

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    2. भाई आप को बताया तो था सभी फ़ोटो डिलीट हो गए

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    3. भाई जी य जोशी तो शायद नकली जोसी ह असे बन्दे से तो सावधान रहने की जरुरत ह,
      चलो क्या पता भोले बाबा आपको दुबारा बुलाना चाहते हो इसलिये वापिस भेज दिया

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