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मंगलवार, 4 सितंबर 2018

किन्नर कैलाश भाग -2 गणेश पार्क से गुफा तक

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रात को नींद न आने के कारण अभी थोड़ी सुस्ती थी ।चाय पीने का भी मन नही था सोच रहे थे गणेश पार्क में कोई दुकान मिली तो वहां पी लेंगे। वैसे आज हम सोच रहे थे कि गुफा तक जाए जा दर्शन भी कर ले ,अभी तक तो हम ज्यादा थके नही थे पर मन मे एक बात जरूर चल रही थी जल्दवाजी में कही बिना दर्शन किये वापिस ना आना पड़ जाए इस लिए सोचा आज गुफा में ही रुकेंगे बाकी वहाँ जा कर देखते है। सुबह सभी 6 बजे उठे मैं ओर बब्बू तो सोए ही नही थे ।हम दोनों को किसी भी यात्रा में एक ही दिक्कत आती है वो है नींद की बाकी सब कुछ हम एडजस्ट कर लेते हैं बस नींद नही आती हमे ।जिस जगह हम रुके थे वहाँ दो चंडीगड़ से आए हुए लड़के भी रुके हुए थे। वो भी हमारे साथ ही चलने वाले थे ।थोड़ी देर में हमने ब्रश वगैरा किया और चल पड़े अपनी मंजिल की और ।

       अभी गणेश पार्क थोड़ा दूर था ।हम अब 7 लोग थे सबसे आगे नंगल वाले डॉक्टर जी थे और उनके पीछे मैं और बब्बू थे बाकी सब पीछे थे ।आज हमने डॉक्टर जी को ज्यादा आगे नही निकलने दिया ।मौसम भी एकदम मस्त था । थोड़ी देर में ही हम गणेश पार्क पहुंच गए यहाँ पर एक बड़ा सा कमरा बना हुआ है फारेस्ट वालो ने बनाया है इसे पर शायद वो यहाँ आते कम ही होंगे क्योंकि ये पूरी तरह खाली था।रात को रुकने के लिए अच्छी जगह है ये। यहाँ पर कम्बल भी पड़े थे तभी एक लोकल बन्दा आया उस ने बताया गुफा में आप को रहने की जगह मिल जाएगी मगर वहाँ हम सो भी गए तो ठण्ड तो लगेगी इस लिए आप यहाँ से कम्बल ले जाओ और वापिस आते समय ले आना। तो हम ने( मैं और बब्बू ने )चार चार कम्बल उठा लिए सोचा दो दो तो नीचे बिछा लेंगे और दो दो ऊपर ले लेंगे ।हम काफी देर बैठे रहे तभी बाकी लोग भी आ गए उन्होंने भी एक एक कम्बल उठा लिया ।सुबह का समय था तो धुन्ध भी काफी हो गई थी ठंड भी लग रही थी ।यहाँ से व्यू बहुत सुंदर दिख रहे थे सुबह का समय ऊपर से हल्की हल्की धुन्ध एक नशा से होने लगा था मुझे ।दिल तो कर रहा था कुछ देर ओर यहीं रुक जाय पर आगे भी तो जाना ही था।इस यात्रा में आप को जो एकांत मिलता है  वो ओर कही कम ही मिलेगा ।इस यात्रा में आप को चड़ाई भी बहुत  मिलती है ।पूरा रास्ता एकदम खड़ी चड़ाई वाला है।अब मैं ओर बब्बू आगे निकल गए थे। हमें आज कोई जल्दी नही थी इस लिए हम आराम से ही चल रहे थे ।कोई कोई यात्री हमे वापिस आता हुआ भी मिल रहा था ।अगर हम अमरनाथ या मणिमहेश होते तो अब तक पता नही कितने हजार लोग हमें आते जाते मिल जाते पर यहाँ अभी तक मुश्किल से 20 लोग मिले होंगे ।श्रीखंड आप को लोकल लोग दुकाने लगाते जा खाने पीने का सामान लाते लेजाते हुए मिल जाते है पर किन्नर कैलाश तो दुकाने भी बहुत कम लगती है   जिस से आप को लोकल भी कम ही मिलते हैं।
             
          अब काफी समय हो गया था हमे चलते हुए बब्बू बोला कुछ खा ले ।भूख तो मुझे भी लग रही थी इस लिए हम बैठ गए बाकी सब पीछे थे ।मैंने बैग में से बिस्किट का पैकेट निकाला और दोनों ने खा लिया बब्बू बोला और क्या है खाने को तो मैंने कहा भाई दो पैकेट ओर है बिस्किट के ये कल के लिए रख लेते है तो बोला भूख लग रही है यार पर क्या कर सकते थे ।पर हमारी फिक्र तो भोले बाबा को थी इस लिए उन्होंने हमारे लिए थोड़ा प्रशाद भेज ही दिया ।थोड़ी देर में हमारे पास दो लड़के आ कर रुक गए वो दोनों शिमला से थे उनके पास  मेवा था थोड़ा सा हम दोनों को भी दिया इस से कुछ एनर्जी आई। तभी डॉक्टर जी भी आ गए बाकी लोग अभी पीछे आ रहे थे। हम दोनों आगे चल पड़े ।पानी की कमी हमे काफी महसूस हो रही थी पर अभी तक पानी नही मिला था  ।एक बोतल में सुबह टेंट वाले से लिया था पर उसमे मिट्टी काफी मिली हुई थी थोड़ी सी मिट्टी के तेल की स्मेल भी आ रही थी इस लिए उसे गिरा दिया था ।खाली बोतल थी हमारे पास आप एक बात का ख्याल जरूर रखे जब भी पहाड़ो में जाए तो खाली बोतल या कोई भी पन्नी न फैंके ये पहाड़ सफाई की वजह से ही सुंदर लगते है इन्हें गन्दा मत करे। हमें भी सिर्फ पानी गिराया था बोतल हमारे पास थी और जो भी बिस्किट खाए थे उनकी पन्नी हम बैग में रख लेते थे। अब मैं ओर बब्बू अकेले चल रहे थे शिमला वाले आगे चले गए थे थोड़ी देर चलने के बाद हम एक जगह रुक गए यहाँ से हमे पानी का झरना दिख रहा था और यहाँ से रास्ता भी डलहान वाला था थोड़ा आराम किया और फिर चल पड़े।

  अब एकदम उतरना था तो थोड़ी स्पीड कम की रास्ता एकदम पतला था ज्यादा जगह नही थी चलने के लिए और कभी कभी कोई यात्री भी वापिस आता हुआ मिल जाता था ।अभी तक जो भी मिला था सब को दर्शन हुए थे पर अभी तक मिले ही कितने थे ।हम सम्बल कर चल रहे थे रात को बारिश हुई होगी यहाँ इस लिए रास्ता पूरा गिला और फिसलन वाला था ।पर इतना भी मुश्किल नही था कि हमे कोई ज्यादा डर लगे।जल्दी ही हम झरने के पास पहुंच गए इसके ऊपर पूरा बर्फ़ का ग्लेशियर था। सबसे पहले जी भर के पानी पिया पानी भी एकदम ठंडा था ।थोड़ा आराम किया और अपनी पानी की बोतल भर कर ग्लेशियर पार करने लगे कोई ज्यादा बड़ा ग्लेशियर नही था पर नीचे से पानी की वजह से बर्फ़ की मोटाई ज्यादा नही थी इस लिए थोड़ा डर लगा इसे बड़े ध्यान से पार किया तभी कुछ यात्री वापिस आते हुए मिले।कुछ गुजरात से थे और कुछ राजस्थान से कोई 12 जा 15 लोग होंगे पर इनमे से सिर्फ एक को दर्शन हुए थे बाकी सब पार्वती कुंड से वापिस लौट आए थे। मैं ओर बब्बू इनकी बात सुनकर एक दूसरे के मुँह की तरफ देखने लगे कही हम भी रास्ते से वापिस न आ जाए ।फिर एक दूसरे को समझाया नही यार हम नही रास्ते मे से लौटेंगे हम दर्शन जरूर करेगे ।इन लोगो की बाते सुनकर लगा ये यात्रा सच मे काफी कठिन है ।इन्होंने बताया यहाँ तक तो रास्ता आसान है असली मुश्किल आगे जाकर आएगी ।यहां से 10 मिनेट चलने पर हम गुफा में पहुंच गए। यहां 10 लोग पहले से ही बैठे थे ये सभी जालंधर से आये थे ।अभी 11 भी नही बजे थे मैंने और बब्बू ने आगे जाने का मन बना लिया। मैंने एक छोटा  पिठु बैग एक्स्ट्रा रखा था अपने पास उसको निकाला और जरूरी सामान जैसे रेनकोट, दवाई और बिस्किट इसमे रख लिए ओर थोड़ी देर आराम करने के बाद आगे चल पड़े और गुफा में बैठे लोगों को बोल दिया हमारे साथी पीछे आ रहे है उनको बता देना हम आगे चले गए हैं। हम थोड़ा आगे गए थे अभी तो हमे वही शिमला वाला एक लड़का वापिस आता हुआ मिला हमने पूछा भाई बड़ी जल्दी वापिस आ गए तो उस ने बताया वो रास्ते में से ही वापिस आ गया है ऊपर मौसम काफी खराब है वो कल सुबह जाएगा दर्शन करने उसका एक साथी चला गया है ।तो मैं और बब्बू भी वापिस आ गए सोचा कल जाएंगे ।वापिस गुफा में आए तो अभी सिर्फ डॉक्टर जी ही आये थे हमने अपना बैग रखा और गुफा में लेट गए आराम करने लगे तभी वो चंडीगड़ ओर नंगल वाले भी आ गए। अभी कुछ और यात्री भी आ रहे थे तो हमने गुफा में अपनी अपनी जगह रोक ली बाद में फिर दिक्कत होगी।गुफा में मोबाइल का नेटवर्क आ रहा था तो हमने घर पे भी फ़ोन कर दिए। अभी सारा दिन बाकी था तो हम सब अपनी अपनी पहले की हुई यात्रा के बारे मे एक दूसरे को बताने लगे ।थोड़ी देर बाद एकदम अंधेरा हो गया बारिश भी होने लगी ।मैंने बब्बू से कहा भाई अच्छा किया वापिस आ गए नही तो बारिश में फस जाते । लेकिन बारिश ज्यादा समय नही रही थोड़ी देर बाद रुक गई ।गुफा में काफी भीड़ हो गई थी इसमे 15 लोग रह सकते है  हम तो 20 के करीब थे गुफा में। जिस तरह एक बार लेट गए वैसे ही पड़े रहे करवट भी नही बदली गई ।काफी समय बाद मुझे कुछ खुशबू आई मैंने बब्बू को बोला यार किसी के बैग में पराठे है ।बब्बू बोला बकवास मत कर सो जा पर मैंने कहा यार पक्का है तू पूछ किसी को तो वो बोला मैं नही पूछुंगा तू पूछ लें ।मैंने जोर से आवाज लगाई भाई किसी की बैग में परांठे है मुझे खुसबू आ रही है अगर हो सके तो एक दे दो भूख लग रही है तो जालंधर वालो में से एक ने कहा मेरे बैग मे परांठे है लाल बैग है ढूंढ लो और खा लो।

 दिल मे अब जो खुशी थी मैं आप को बता नही सकता।आज पूरे दिन में सिर्फ एक बिस्किट का पैकेट खाया था हम दोनों ने मिल कर भूख बहुत लग रही थी।मैंने टोर्च निकाली और वो लाल बैग ढूंढने लगा ।पर यहाँ तो तीन चार लाल बैग पड़े थे मैंने फिर पूछा भाई कोनसा लाल बैग आपका है यहाँ तो तीन चार पड़े है तो वो बोला भाई सभी चैक करलो ।
मैंने फिर अपनी नाक को काम पर लगाया बिना खोले पता कर ही लिया किस बैग में पराठे है ।बैग को खोला तो उसमें दो परांठे थे आम का अचार भी मैं तो खुशी के मारे पागल ही हो गया था। पर मेरी खुशी ज्यादा देर नही रही एक परांठा तो बब्बू ने दोस्ती का वास्ता दे कर ले लिया। पर अब एक परांठा अब भी मेरे पास था तभी एक जालंधर वाले लड़के ने कहा भाई थोड़ा मुझे भी दे दो आधा उसे दे दिया तभी चंडीगढ़ वाला लड़का बोल पड़ा भाई थोड़ा मुझे भी दे दो उसे बब्बू ने दे दिया आधा चलो कोई नही आधा ही सही परांठा तो मिला भोले बाबा का धन्यवाद किया और परांठा खाने लगा तभी एक लड़का और बोला भाई थोड़ा मुझे भी दे दो तो आधे में से आधा उसे दे दिया अब मेरे पास सिर्फ एक निवाला बचा था उसे में खा गया कहीं कोई और न मांग ले ।कुछ समय पहले मैं कितना अमीर था दो दो परांठो का मालिक पर जब खाने लगा तो सिर्फ एक निवाला अंदर गया ।सही कहा है किसी ने दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम परांठे बनवा कर कोई लाया बैग में से किसी ओर ने निकाले और खाए कितनो ने।वैसे एक निवाला खा कर भूख शांत हो गई ये भी भोले का चमत्कार ही था। अभी हम बाते कर रहे थे तभी एक ग्रुप ओर आ गया नीचे से इसमे कुछ औरते भी थी इनके पास पोटर भी थे इन्होंने अपने टेंट लगा लिए।
अब हम गुफा के पास तकरीबन 25 से 30 यात्री थे।मैंने सभी से पूछा आप सुबह कितने बजे निकलोगे ज्यातर ने सुबह 4 बजे बोला पर मैंने बब्बू को बोला हम 3 बजे निकल पड़ेंगे ।मैंने सुबह 2 बजे का अलार्म लगा दिया ।आज हमने काफी आराम कर लिया था सुबह 11 बजे से यही पड़े थे पर शाम को गुफा में ज्यादा भीड़ होने की वजह से हम एक तरफ करवट ले कर ही पड़े थे जिस से आराम की जगह तकलीफ ही हो रही थी।नींद तो बिल्कुल भी नही आ रही थी एक दो जने सो रहे थे उनके खराटे गुफा में गूंज रहे थे ।तभी एक लेडिस आई उन्होंने हमसे पॉवर बैंक मांगा फ़ोन चार्ज करने के लिए मैंने दे दिया ।वो देहरादून से अकेली आई थी कमाल की हिमत थी उनमे यहाँ हमारे घर वाले हमे अकेला नही जाने देते वो औरत हो कर अकेले आ गई थी।रात को वो उस ग्रुप वालो के साथ ही रुकने वाली थी जिस में कुछ औरते भी थी ।फिर उन्होंने हमें पूछा आप कितने बजे निकलोगे सुबह मैंने बता दिया 3 बजे निकलेंगे तो वो बोली मैं भी आप के साथ चलूंगी हमने कहा कोई दिक्कत नही है हम आप को उठा देंगे सुबह।थोड़ी देर ऐसे ही बाते करते रहे अब थोड़ी थोड़ी नींद भी आने लगी थी।तो हम भी सोने की कोशिश करने लगे।थोड़ी देर सोए होंगे तभी मुझे कुछ आवाज सुनाई दी जब आवाज लगाई कौन है तो एक लड़का बोला भाई मैं ऊपर से दर्शन करके वापिस आया हूँ थोड़ी सी जगह दे दो बाहर बारिश हो रही है ।  तभी नंगल वाले भी   जाग गए पूछने लगे क्या हुआ और टोर्च चलाई तो देखा वो लड़का पूरी तरह से भीग गया था और कांप रहा था उसकी हालत काफी खराब लग रही थी हमने उसे गुफा के अंदर बुलाया गीले कपड़े उतार कर उसे अंदर बिठाया दो तीन कम्बल दिए ।अरे ये तो वही शिमला वाला लड़का है जो सुबह हमे मिला था इसका एक साथी हमारे साथ गुफा में ही था। वो सो रहा था उसे भी उठाया भाई तेरा दोस्त आया है उठ जा ।जो ऊपर से आया था उसने बताया ऊपर मौसम बहुत खराब था वापसी पर सारे रास्ते बारिश नही रुकी तो उसके दोस्त ने कहा तुजे कहा तो था वापिस चल कल दर्शन कर लेंगे तो माना ही नहीं अगर कुछ हो जाता तो।थोड़ी देर कम्बल में बैठ कर उसको कुछ गर्मी मिली फिर उसे पूछा भाई कुछ खाओगे तो बोला दे दो अगर कुछ है तो चंडीगड़ वाले लड़को ने उसे कुछ बिस्किट ओर थोड़ा सा मेवा दे दिया इसे खा कर उसे काफी राहत मिली। थोड़ी देर बाद हम भी दुबारा सो गए।
आज के लिए बस इतना ही बाकी यात्रा अगले भाग में