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रात को नींद अच्छी आई ।रात को हम तीनों एक ही टेंट में सोए थे टेंट दो लोगो वाला था पर सोए तीनो पर नींद इतनी अच्छी आई थी एक बार सोने पर पता ही नही चला। सुबह अलार्म बजा फिर आँख खुली। सुबह उठ गए तो सबसे पहले टेंट पैक किया और उसी दुकान में रख दिया जिस में रात को मैगी खाई थी। जब चाय बनाने को बोला तो दुकान वाले ने मना कर दिया बोला अभी नही बना सकता ।पर रात को तो बोला था बना दूंगा और कोई दुकान भी नही थी यहाँ ।चलो कोई बात नही बिन चाय काम चला लेंगे और फिर हम चल पड़े भोले के दर्शन करने ।अभी अंधेरा था तो टोर्च को भी काम मे लिया गया ।पास में ही पानी का नाला बह रहा था काफी तेज पानी था शोर भी काफी हो रहा था ।थोड़ी दूर जा कर इसे पार कर दूसरी तरफ जाना पड़ता है।अब चड़ाई भी शुरू हो गई बिकुल सीधी यहाँ रास्ता भी थोड़ा पथरीला था।हमारे आगे भी कोई जा रहा था दूर से टॉर्च की रोशनी दिख रही थी ।हम तीनों भी आगे बढ़ते रहे ।ठंड की वजह से सांस भी फूल रही थी। थोड़ी देर बाद थोड़ी समतल जगह आई ,और यहाँ पर जोशी टेंट में रुका हुआ था ।हमे लगा था ये पार्वती बाग में मिलेगा पर ये तो यहाँ पड़ा है अगर यही रुकना था तो आधा किलोमीटर पहले क्या दिक्कत थी।सबसे पहले इनसे पूछा आप भीम द्वारी क्यो नही रुके तो बोले आप सुबह बोल रहे थे पार्वती बाग में रुकेंगे मुझे लगा आप आ जाओगे ।उनको सुबह वाली बात याद रह गई पर दोपहर वाली याद नही रही ।वैसे सच ये था कि वो नही चाहता था हम उनके पास रुके ।अगर उनके पास रुकते तो हम में से एक उनके टेंट में सोता और वो ये नही चाहता था ।टेंट तो बहुत बड़ी बात है उस ने तो थाचडू की चड़ाई चड़ते समय बब्बू को झूठ बोल दिया के मेरे पास तो पानी नही है बाद में जब खुद पानी पीने लगा तो बब्बू ने पूछा अब पानी कहा से आया तो बोला पी लो पानी । हमारी पहली गलती इस यात्रा में लंगर लगने से एक महीना पहले आने की थी और दूसरी जोशी को साथ लाने की थी । हमने जोशी को बोल दिया जल्दी आ जाना हम आगे जा रहे है ।थोड़ी देर बाद उजाला भी होने लगा। अब काफी दूर तक दिख रहा था और वो लोग भी दिखने लगे जो हम से आगे जा रहे थे वो चार थे। हम भी चार तो अभी तक कुल 8 लोग ही दर्शन के लिए जा रहे थे ।ठण्ड बहुत थी हाथ सुन हो रहे थे ।मेरे और अक्षय के पास तो दस्ताने भी नही थे ।मैने अपने बैग में से अपनी गर्म जुराबें निकाल ली एक अपने हाथ मे डाल ली एक अक्षय को दी ।मुझे तो काफी आराम मिला पर अक्षय को डंडा पकड़ने में दिकत थी तो उसने जुराब वापिस कर दी। हम सभी साथ में ही चल रहे थे जोशी भी आ गया था।अब वो चार जो हम से आगे थे हम उनके पास पहुंच गए थे ।उनमें से 3 लड़के और एक लड़की थी वो रेणुका जी हिमाचल से थे। काफी तयारी के साथ आये थे खाने का समान भी भी काफी था और हमारे पास जो सामान था वो भी हम भीम द्वारी छोड़ आए। थोड़ा सा सामान ही साथ लाए थे ।अब कभी हम आगे निकल जाते कभी वो चारो ।आज ठंड काफी थी ।हम चुप चाप ही चल रहे थे बाते करने का दिल भी नही कर रहा था ।अभी तक ज्यादा रुके भी नही थे। कुछ देर बाद पार्वती बाग भी आ गया। जहाँ पिछले साल लगे टेंटो के निशान भी थे पर इस साल अभी तक कोई टेंट नही लगा था ।यात्रा समय यहाँ लंगर और प्राइवेट टेंट लगते है ।हम बिना रुके चलते रहे थोड़ी देर बाद रास्ता भी पथरो वाला आ गया। चारो तरफ पथर पानी की सिर्फ एक छोटी सी बोतल थी हमारे पास उसी से काम चलाना था ।सारे रास्ते मे हमने सोच लिया था जो मर्जी हो जाये जोशी से पानी नही मांगना है ।हमारे साथ जो कुत्ता नीचे से आया था वो अभी भी हमारे साथ साथ चल रहा था ।एक कुत्ता उन हिमाचल वालो के साथ भी था उनके कुते के मुकाबले हमारा कुत्ता शरीफ था ।नीचे से लेकर अब तक एक बार भी नही भौंका था और जो भी हमने खाने को दिया वो आराम से खा लिया था ।अब पहली बार इसे अपनी पसंद का खाना मिला था इन पथरो में दोनों कुत्तो ने एक चूहा पकड़ लिया था ।भूख तो अब हमें भी लग रही थी ।तो हमने भी अपना बैग खोला इसमे अक्षय भाई का लाया हुआ नमकीन और एक दो बिस्कट के पैकेट थे चार पांच मेरे पास चॉकलेट थे उसमे से ही थोड़ा थोड़ा खा लिया ।हिमाचल वालो से भी पूछा ले लो भाई पर उन्होंने मना कर दिया ।जो हमारे पास नमकीन था उसमें मिर्च थोड़ी ज्यादा थी और पानी हमारे पास कम था । खा पी कर हम फिर आगे चल पड़े काफी देर पथर आते रहे इन पथरो पर चलना थोड़ा मुश्किल होता हैं अगर थोड़ी सी भी लापरवाही की तो चोट लग सकती है या पैर में मोच भी आ सकती है।पर अब हमे थकावट नही हो रही थी इस लिए रुक कर आराम करने की जरूरत नही पड़ रही थी। अब हमें पीछे से कोई आता दिखाई दिया कोई पहाड़ी ही होगा तभी बड़ी तेजी से आ रहा था । अब दिल कर रहा था ये पथर जल्दी खत्म हो और थोड़ा तेज चले ।दूर रास्ते पर बर्फ भी नजर आ रही थी ।थोड़ी देर बाद वो जो पीछे से आ रहा था वो भी हमारे पास आ गया ये तो रोहित था जो हमे कल भीम द्वारी से थोड़ा पहले मिला था ।ये नैनसरोवर पर नहाने आया था ।इतनी ठंड में यहाँ नहाने की हिम्मत हर कोई नहीं कर सकता ।हमारे तो यहाँ ऐसे ही हाथ सुन हो रहे थे और ये यहाँ नहाने आया है ये सोच कर मुझे तो और भी ठंड चड़ गई।थोड़ी देर में नैन सरोवर भी आ गया और बर्फ़ भी। यहाँ से आगे काफी दूर तक बर्फ ही भर्फ़ नजर आ रही थी ।अब यहां पर थोड़ी देर रुक कर आराम करेगे और कुछ खायेगे ।यहाँ पहुंचते ही अक्षय तो फ़ोटो खीचने लगा और मैंने नमकीन निकाल लिया भूख बहुत लगी थी। हिमाचल वालो के पास ब्रैड और पीनट बटर था मैं भी उनके पास बैठा था मुझे उम्मीद थी वो एक बार जरूर पूछेगे आप भी ले लो ब्रैड और मैंने सोच रखा था एक बार पूछ लेने दो मना मैं भी नहीं करूंगा पर उन्होंने पूछा ही नहीं हाँ उन्होंने अपने कुत्ते को भी ब्रैड दिया अब मुझे उस कुत्ते से जलन हो रही थी।अब अक्षय और बब्बू भी फ़ोटो खिंच कर आ गए थे हमने भी अपना नमकीन और बिस्किट खाए और चल पड़े आगे ।अब पथर नही थे बर्फ़ थी बर्फ़ भी ताजी गिरी हुई थी कल गिरी होगी ।कोई निशान नही था किसी के भी पैरो का ।जब हम पैर रख रहे थे तो पैर थोड़े से बर्फ़ के अंदर जा रहे थे ।यहाँ पर हम ने रोहित को हमारे साथ आगे जाने के लिए भी मना लिया ।वो बोल रहा था मेरी दादी गुस्सा होंगी पर हम ने कहा हम समझा देंगे तुम्हारी दादी को तो रोहित मान गया। जहाँ पर बब्बू ने अक्षय से पूछा भाई सुस्त क्यू हो ,लग तो मुझे भी सुसत रहे थे पर मुझे लगा थकावट होगी इस लिए नही पूछा पर उसने बोला ऐसी कोई बात नहीं है। थोड़ी देर में बर्फ भी खत्म हो गई लेकिन चड़ाई जारी रही ।मेरे घुटने में थोड़ा दर्द होने लगा था जैसे जैसे ऊपर जा रहे थे दर्द भी बढ़ता जा रहा था ।बैग में दवाई देखी तो वो भीम द्वारी पर ही रह गयी थी दूसरे बैग में ।जब लगा अब ज्यादा तकलीफ है तो हिमाचल वालो से पेन किलर मांग ली उन्होंने एक गोली दे दी ।मैंने सोचा खाना भी मांग लेता तो शायद वो भी दे देते। पर अब सिर्फ गोली से काम चला लेते है गोली खा कर काफी आराम मिला ।अब फिर कुछ स्पीड बड़ाई गयी। हल्की हल्की भर्फ़ गिरने लगी थी।मैंने पहली बार भर्फ़ गिरते देखी थी अच्छा लग रहा था। रास्ता तो पहले ही मुश्किल था अब एक ग्लेशियर भी आ गया। मुश्किल ये थी बर्फ़ ताजी गिरी हुई थी जिस से पैर अंदर दसने का डर था और एक तरफ खाई भी थी। पर सब ने धीरे धीरे इसको पार कर ही लिया ।हिमाचल वालो में से एक लड़के को चड़ने में काफी दिक्कत हो रही थी रास्ता भी काफी मुश्किल था बर्फ भी ज्यादा थी ।और अब बर्फबारी भी ज्यादा होने लगी थी ।अब वो लड़का आगे जाने से मना करने लगा ।तो वो सभी वापिस जाने की सोचने लगे पर हमारे कहने पर एक कोशिश और करने के लिए मान गए ।रास्ता कभी बर्फ पर तो कभी पथरो का आ जाता था ।थोड़ी दूर ही गये थे कि हिमाचल वालो ने तो मना कर दिया आगे जाने के लिए मौसम भी अब काफी खराब हो गया था ।अब हम भी क्या कर सकते थे इसमे । उनको वही छोड़ कर हम आगे चले गए वो अभी वापिस नही गए थे एक पत्थर के नीचे थोड़ी जगह थी वही हमारे वापिस आने तक रुकेंगे फिर हम इक्कठे वापिस जाएगे।हम थोड़ा सा आगे गए तो एक जगह सीधी चड़ाई आ गईं ज्यादा नही थी कोई 30 मीटर के करीब होगी। जहाँ पर जोशी बोला मैं आगे नही जाऊंगा कारण इस चड़ाई पर बर्फ बहुत थी और दोनों तरफ खाई थी इस लिए वो डर गया था।ज्यादा हमने भी जोशी को नही कहा कि आगे चलो।अब हम 4 लोग बचे थे मैं,बब्बू ,अक्षय और वो लड़का रोहित। रोहित तो ऐसे चड़ गया जैसे समतल रस्ते पर जाते है फिर बारी आई बब्बू की जब भी वो ऊपर चड़ने लगता फिसल कर नीचे आ जाता कम से कम दस बार कोशिश की पर बब्बू चड़ न सका ।फिर रोहित को हमने बोला अपने मफलर से खींच ले पर वो बोला मैं छोटा हूँ आप को कैसे खींचूंगा कही मैं भी नीचे खाई में ना गिर जाऊ।वापिस हम जाना नही चाहते थे। फिर एक दो बार कोशिश करने पर बब्बू चड़ गया अब अक्षय बोला मैं भी आगे नही जा पाऊंगा पर मैंने उसे समजाया थोड़ी कोशिश करो हम चड़ जायेगे ।चार पांच बार फिसलने के बाद मैं भी चड़ गया अक्षय ने भी कोशिश की पर वो बार बार फिसल रहा था। अब उस ने साफ मना कर दिया भाई मैं नही जा सकता। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि अक्षय यहाँ से वापिस चला जायेगा। अब हम तीन ही रह गए थे। रोहित आगे चला गया था और बब्बू मुझे आवाज लगा रहा था जल्दी करो मौसम खराब हो रहा है और मैं अक्षय को वही छोड़ कर आगे बढ़ गया ।रास्ता काफी मुश्किल था बड़े-बड़े पथरो को पकड़ कर चढ़े।थोड़ा आगे गए तो फिर वैसी ही बर्फ और चड़ाई आ गई पर इस बार इतनी मुश्किल नही हुई पर पैर बर्फ में दस रहे थे जिस से बर्फ़ जूतों के अन्दर जा रही थी ।मैंने एक जगह पर पीछे मुड़कर देखा तो चारो हिमाचली और अक्षय ,जोशी वापिस जा रहे थे और ।मैं सोच रहा था कितनी पास आकर ये लोग वापिस लौट गए ।हम थोड़ा सा चले और भीम शिला आ गया ।जहाँ पर बड़े बड़े पत्थरों पर भीम ने कुछ लिखा था मेरी समझ मे तो कुछ नही आया कोशिश तो बहुत की मैंने ।बब्बू ने फिर आवाज लगा दी जल्दी करो, यार एक तो बब्बू को जल्दी बहुत रहती है। मैं आगे चल पड़ा ।इस रास्ते पर काफी बर्फ थी तो मैं वीडियो बनाने लगा तभी मेरा पैर फिसल गया एक तरफ खाई थी वो तो शुक्र है बच गया ।बब्बू ने जब देखा तो वो गुस्सा हो गया और बोला वीडियो के चक्कर मे मर जायेगा सीधा होकर चल और मोबाइल जेब मे डाल लें ।अब शिला साफ नजर आ रही थी। रोहित हमसे पहले पहुंच गया था वो अभी पूजा कर रहा था ।शिला से थोड़ा पहले एक पथर पर हमने अपना सामान रखा और बैठ गए समय देखा 12:45 ।हमने सोचा 1:15 पर ही पूजा करेगे।काफी थक भी गये थे ।बहुत देर से पानी नही पिया था जो पानी था कब का खत्म हो गया था मैंने तो कई बार बर्फ खा कर ही काम चलाया था ।पानी तो यहाँ भी नहीं था पर एक पथर से पानी की बूंदे टपक रही थी खाली बोतल को उसके नीचे रख दिया जाते समय उठा लेंगे थोड़ा पानी तो मिलेगा। फिर अपने जूते उतारे बर्फ से ही हाथ धोए ओर चल पड़े भोले को गले से लगाने ।हमारी आंखों से आंसू आ रहे थे खुशी के आंसू ।हम हैरान थे इतने लोगो मे से भोले ने हमे ही दर्शन दिए अगर ताकत की बात करे तो अक्षय और जोशी दोनो मेरे से ज्यादा दम रखते थे चड़ने का। पूरे रास्ते वो मेरे से आगे आगे ही आये थे ।अगर मानसिक ताकत की बात करे तो मैं और बब्बू दोनो काफी मजबूत है ।पर पिछले साल अक्षय ने अकेले किन्नर कैलाश की यात्रा की थी पर इस बार पता नही क्या हो गया था ।बब्बू ने तो नैन सरोवर से ही बोल दिया था आज अक्षय के चेहरे पर पहले वाली चमक नही है।शिला के सामने हम कुछ देर ऐसे ही खड़े रहे ।पहले मौसम थोड़ा खराब था जबसे यहाँ पहुंचे थे कड़क धूप निकल आई थी ।नीचे बर्फ थी पर जब किसी पथर पर पैर रखते थे तो पथर थोड़े गर्म लग रहे थे धूप की वजह से।चारो तरफ दूर दूर तक पहाड़ साफ नजर आ रहे थे ।तभी रोहित बोला जल्दी करो वापिस भी जाना है तो हमने अपने बैग से पूजा का सामान निकाला हम तो घर से कुछ लेकर नही आये थे पर जीजा जी ने दिया था उसी से पूजा की फ़ोन पर आरती और महामृत्युंजय मंत्र चलाये।जब हम पूजा कर रहे तो हमने देखा समने कीसी ने 4 कच्चे आम चढ़ाए हुए थे भोले बाबा को कोई आया होगा एक दो दिन पहले ।हम ने सोचा भोले बाबा की जगह उनके बच्चे ये खा ले तो ज्यादा अच्छा है इस लिए भोले का प्रशाद समाज कर हमने 3 आम उठा लिए।हम तीनो को एक एक आ गया और एक भोले बाबा के लिए छोड़ दिया।थोड़ी देर फ़ोटो खिंचे आस पास की पहाड़ियां देखी ।दिल तो वापिस जाने का कर ही नही रहा था। कार्तिकेय चोटी भी साफ दिख रही थी अक्षय का बहुत मन था वहाँ जाने का ।हमे अब एक घंटा हो गया था यहाँ आये हुए अब एक बार और भोले को नमस्कार किया और भोले से फिर दुबारा बुलाने का वादा लेकर वापिस चल पड़े। अपना सामान उठाया जूते पहने जो बोतल रखी थी पथर के नीचे उसमे 150 ml पानी मुश्किल से भरा था ।अभी प्यास नही लगी थी तो बोतल को बैग में रखा और भोले का जयकारा लगा कर नीचे की और चल पड़े ।अब दिल मे जो खुशी थी वो शब्दो मे बया नही की जा सकती ।जितनी देर हम ऊपर रुके थे उतना समय धूप थी जब वापिस चले तो फिर से मौसम खराब होने लगा। चड़ते समय जिस जगह बर्फ पर कम दिक्कत हुई थी वहां पर हम बहुत बार फिसले। बब्बू तो एक दो बार फिसला मैं कम से कम पांच छे बार फिसला पैंट भी थोड़ी लूस हो गयी थी जा फिर मैं थोड़ा पतला हो गया था पहाड़ चड़ कर ।जब फिसल कर गिरता तो बर्फ पैंट में कमर के पास से अंदर घुस जाती जूतो में भी चली जाती थी।इस थोड़ी सी जगह से उतरने पर ही नानी याद आ गई ।मेरा तो पिछवाड़ा भी गिर गिर कर दर्द करने लगा था।मुझे पहाड़ चड़ने से ज्यादा उतरने में दिक्कत हो रही थी ।रही सही कसर मौसम ने पूरी कर दी हल्की हल्की भर्फ़ भी पड़ने लगी। अभी तक तो रोहित हमारे साथ चल रहा था पर भीम शिला के पास आकर वो बोला मैं अब जल्दी नीचे उतरूंगा तो हमने भी उसे नही रोका ।बब्बू आराम से चल रहा था उसे कोई दिक्कत नही हो रही थीं ।थोड़ी देर बाद बर्फ भी ज्यादा गिरने लगी जैसे जैसे हम नीचे उतर रहे थे भर्फ़बारी भी तेज हो रही थी ।थोड़ी देर बाद तो धुन्ध भी छा गई रास्ता भी बड़ी मुश्किल से नजर आ रहा था ।मैंने बब्बू को बोला भाई पास ही रहना ज्यादा आगे मत निकल जाना।थोड़ी देर ऐसे ही चलते रहे । अरे ये क्या अब तो भर्फ़ की जगह ओले गिरने लगे ।जिस रास्ते पर हमें चड़ते समय पथर दिख रहे थे अब सिर्फ बर्फ़ ही बर्फ़ थी न कोई रास्ता नजर आ रहा था न कोई पथरो पर लगा पेंट का निशान ।मेरे दोनो घुटनो में भी बहुत दर्द हो रहा था ।सुबह से हमे 4 हिमाचली और रोहित के इलावा और कोई ऊपर आता जा नीचे जाता नही मिला पर दोनों कुत्ते अब भी हमारे साथ ही चल रहे थे ।मतलब आज इन दोनों कुत्तो के इलावा हम तीन लोगों ने ही दर्शन किये थे ।रास्ता अब और भी ज्यादा मुश्किल हो गया था बर्फ़ पर पैर फिसल रहा था कही कही तो बैठ कर ही उतरना पड़ा ।मुझे घुटनो के दर्द के कारण बैठने में भी बहुत मुश्किल हो रही थी ।एक जगह आ कर बब्बू बोला हम नैन सरोवर नही जायेगे दूसरी तरफ से शॉटकट मारेगे ।मैं बोला भाई कही से भी ले चल पर जल्दी ले जा अब चला नही जा रहा ।इस रास्ते पर बर्फ कही कही तो इतनी होती थी घुटनो तक पैर अंदर चला जाता बड़ी मुश्किल से उतर रहे थे ।ऊपर से बर्फ की जगह ओले पड़ रहे थे ।वो तो शुक्र था भोले का ओले छोटे थे नही तो और भी मुश्किल हो जाती। थोड़ी देर बाद फिर से पथर आ गए अब थोड़ा आराम मिला नही तो बर्फ़ पर चल चल कर हालात खराब हो गई थी ।जब तक पथर रहे स्पीड भी ठीक रही जब पथर हटे स्पीड फिर कम हो गयी। बब्बू मेरे आगे आगे तेजी से चला जा रहा था और मुझे उसकी वजह से तेज चलना पड़ रहा था ।मैं कब से भोले से दुआ कर रहा था ये ओले बन्द हो जाए अब भोले ने मेरी सुन ली पर अब ओले की जगह बारिश होने लगी हे भोले बारिश से तो ओले ही अच्छे थे ।आज से पहले मैंने बर्फ़ पड़ती नही देखी थी और आज इतनी देख ली फिर दुबारा कभी देखने की इच्छा भी नही रही। ये बर्फ़ सिर्फ शिमला जा मनाली में ही गिरती हुई अच्छी लगती है। यहां इसने हमारी हालत खराब कर दी अब बारिश ने उस से भी ज्यादा बुरी हालत कर दी । ठंड भी बढ़ गयी थी मेरे हाथ सुन्न हो गए थे होंठ भी नीले हो गए थे।अब चलने का बिल्कुल भी मन नही कर रहा था। दिल कर रहा था यही सो जाऊ जो होगा देखी जाएगी। पर फिर सोचा अब इतनी ठंड है तो रात को क्या हाल होगा ।बब्बू अब ओर ज्यादा दूर निकल गया था मैं भी थोड़ा तेज चलने लगा। पार्वती बाग के पास आकर मैं दो तीन बार गिरा एक बार तो इतनी जो से गिरा पिछवाड़ा सुन्न हो गया ।अब बारिश की वजह से कीचड़ हो गया था ।पैंट भी गिरने की वजह से कीचड़ से भर गई थी ।जूतो में मिट्टी लग गई थी जिस से ग्रिप नही बन रहा था बार -बार फिसल रहा था। अगर हम यात्रा के समय आए होते तो पार्वती बाग में टेंट होते और हम यही सो जाते पर अब तो भीम द्वारी जाना ही पड़ेगा और कोई रास्ता भी नही था ।पार्वती बाग के बाद रास्ते मे फिसलन हो रही थी तो मैं सही रास्ते को छोड़ पास में घास पर चलने लगा। घुटनो में इतना दर्द था मै बिल्कुल धिरे धीरे से चल रहा था और बब्बू आज मिल्खा सिंह बन रहा था पास होता तो उसे बोलता भाई आगे निकलने से कोई गोल्ड मैडल नही मिलने वाला । वो अब काफी आगे निकल गया था ।मुझे दूर दिखाई दे रहा था पर मैं आराम आराम से ही चल रहा था करता भी क्या तेज चला ही नही जा रहा था। अब हल्का हल्का अंधेरा भी होने लगा था और भीम द्वारी अभी काफी दूर था ।अब मुझे बब्बू दूर एक पथर पर बैठा दिख रहा था वो मेरा इंतजार कर रहा होगा क्योंकि बैग उसके पास था और टोर्च उसमे थी ।करीब 1 घंटे बाद मैं बब्बू के पास पहुंचा अंधेरा हो गया था ।जब मैं बब्बू के पास पहुँचा तो देखा जोशी वही टेंट लगा कर सो रहा था। अजीब पागल इंसान है आज तो उसके पास समय था आगे जाने का फिर भी यही पड़ा है ।हम बिना रुके आगे चल पड़े अब बब्बू और मैं साथ साथ ही चल रहे थे। अब फिर एकदम सीधी डलहान आ गई पास में ही पार्वती झरना था। इस थोड़ी सी उतराई में मेरे घुटनो की बैंड बज गई ।थोड़ी देर में हम ये डलहान उतर गए। अब फिर उस नाले को पार किया ।अब रास्ता प्लेन ही था तो हम तेजी से चलने लगे और भीम द्वारी उसी दुकान में पहुंच गए जहाँ सुबह समान रखा था ।अक्षय का पता किया तो वो आगे चला गया था रोहित की दुकान पर गया होगा पक्का ।वो चारो हिमाचली यही रुके थे उनसे फिर एक बार पेन किल्लर ली धनयवाद किया और हम आगे चल पड़े थोड़ी देर में हम रोहित की दुकान पर पहुंच गए अक्षय यही पर था। और रोहित सो रहा था उसकी दादी ने बताया आज पहली बार बिना खाय सोया है थक गया होगा। हमने अपने कपड़े उतारे पूरे गीले हो गए थे ठंड बहुत लग रही थी और भूख भी ।बब्बू के पास तो बैग में और कपड़े भी थे उसने बदल लिए। मेरे पास सिर्फ शर्ट थी वो पहन ली नीचे सिर्फ़ कच्छा बदल लिया।चूल्हे के पास बैठ कर राजमा चावल खाएं बहुत टेस्टी बने थे थोड़े और लिए पेट भर गया पर मन नही भरा। एक एक कप चाय पी और चार पांच रजाई ले कर सो गए थकावट इतनी थी कि अपने स्लीपिंग बैग भी नही उठाए। रात को मुझे ठंड बहुत लग रही थी जब रात को करवट बदलता था तो रजाई ऊपर उठ जाती थी जिससे और ज्यादा ठण्ड लगती सारी रात में मुश्किल से 1 घंटा नींद आई होगी।बाकी बाते अगले भाग में
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ये है भीम शिला इनपे भीम ने लिखा हुआ है
यात्री ऐसे घर बना देते हैं
रात को नींद अच्छी आई ।रात को हम तीनों एक ही टेंट में सोए थे टेंट दो लोगो वाला था पर सोए तीनो पर नींद इतनी अच्छी आई थी एक बार सोने पर पता ही नही चला। सुबह अलार्म बजा फिर आँख खुली। सुबह उठ गए तो सबसे पहले टेंट पैक किया और उसी दुकान में रख दिया जिस में रात को मैगी खाई थी। जब चाय बनाने को बोला तो दुकान वाले ने मना कर दिया बोला अभी नही बना सकता ।पर रात को तो बोला था बना दूंगा और कोई दुकान भी नही थी यहाँ ।चलो कोई बात नही बिन चाय काम चला लेंगे और फिर हम चल पड़े भोले के दर्शन करने ।अभी अंधेरा था तो टोर्च को भी काम मे लिया गया ।पास में ही पानी का नाला बह रहा था काफी तेज पानी था शोर भी काफी हो रहा था ।थोड़ी दूर जा कर इसे पार कर दूसरी तरफ जाना पड़ता है।अब चड़ाई भी शुरू हो गई बिकुल सीधी यहाँ रास्ता भी थोड़ा पथरीला था।हमारे आगे भी कोई जा रहा था दूर से टॉर्च की रोशनी दिख रही थी ।हम तीनों भी आगे बढ़ते रहे ।ठंड की वजह से सांस भी फूल रही थी। थोड़ी देर बाद थोड़ी समतल जगह आई ,और यहाँ पर जोशी टेंट में रुका हुआ था ।हमे लगा था ये पार्वती बाग में मिलेगा पर ये तो यहाँ पड़ा है अगर यही रुकना था तो आधा किलोमीटर पहले क्या दिक्कत थी।सबसे पहले इनसे पूछा आप भीम द्वारी क्यो नही रुके तो बोले आप सुबह बोल रहे थे पार्वती बाग में रुकेंगे मुझे लगा आप आ जाओगे ।उनको सुबह वाली बात याद रह गई पर दोपहर वाली याद नही रही ।वैसे सच ये था कि वो नही चाहता था हम उनके पास रुके ।अगर उनके पास रुकते तो हम में से एक उनके टेंट में सोता और वो ये नही चाहता था ।टेंट तो बहुत बड़ी बात है उस ने तो थाचडू की चड़ाई चड़ते समय बब्बू को झूठ बोल दिया के मेरे पास तो पानी नही है बाद में जब खुद पानी पीने लगा तो बब्बू ने पूछा अब पानी कहा से आया तो बोला पी लो पानी । हमारी पहली गलती इस यात्रा में लंगर लगने से एक महीना पहले आने की थी और दूसरी जोशी को साथ लाने की थी । हमने जोशी को बोल दिया जल्दी आ जाना हम आगे जा रहे है ।थोड़ी देर बाद उजाला भी होने लगा। अब काफी दूर तक दिख रहा था और वो लोग भी दिखने लगे जो हम से आगे जा रहे थे वो चार थे। हम भी चार तो अभी तक कुल 8 लोग ही दर्शन के लिए जा रहे थे ।ठण्ड बहुत थी हाथ सुन हो रहे थे ।मेरे और अक्षय के पास तो दस्ताने भी नही थे ।मैने अपने बैग में से अपनी गर्म जुराबें निकाल ली एक अपने हाथ मे डाल ली एक अक्षय को दी ।मुझे तो काफी आराम मिला पर अक्षय को डंडा पकड़ने में दिकत थी तो उसने जुराब वापिस कर दी। हम सभी साथ में ही चल रहे थे जोशी भी आ गया था।अब वो चार जो हम से आगे थे हम उनके पास पहुंच गए थे ।उनमें से 3 लड़के और एक लड़की थी वो रेणुका जी हिमाचल से थे। काफी तयारी के साथ आये थे खाने का समान भी भी काफी था और हमारे पास जो सामान था वो भी हम भीम द्वारी छोड़ आए। थोड़ा सा सामान ही साथ लाए थे ।अब कभी हम आगे निकल जाते कभी वो चारो ।आज ठंड काफी थी ।हम चुप चाप ही चल रहे थे बाते करने का दिल भी नही कर रहा था ।अभी तक ज्यादा रुके भी नही थे। कुछ देर बाद पार्वती बाग भी आ गया। जहाँ पिछले साल लगे टेंटो के निशान भी थे पर इस साल अभी तक कोई टेंट नही लगा था ।यात्रा समय यहाँ लंगर और प्राइवेट टेंट लगते है ।हम बिना रुके चलते रहे थोड़ी देर बाद रास्ता भी पथरो वाला आ गया। चारो तरफ पथर पानी की सिर्फ एक छोटी सी बोतल थी हमारे पास उसी से काम चलाना था ।सारे रास्ते मे हमने सोच लिया था जो मर्जी हो जाये जोशी से पानी नही मांगना है ।हमारे साथ जो कुत्ता नीचे से आया था वो अभी भी हमारे साथ साथ चल रहा था ।एक कुत्ता उन हिमाचल वालो के साथ भी था उनके कुते के मुकाबले हमारा कुत्ता शरीफ था ।नीचे से लेकर अब तक एक बार भी नही भौंका था और जो भी हमने खाने को दिया वो आराम से खा लिया था ।अब पहली बार इसे अपनी पसंद का खाना मिला था इन पथरो में दोनों कुत्तो ने एक चूहा पकड़ लिया था ।भूख तो अब हमें भी लग रही थी ।तो हमने भी अपना बैग खोला इसमे अक्षय भाई का लाया हुआ नमकीन और एक दो बिस्कट के पैकेट थे चार पांच मेरे पास चॉकलेट थे उसमे से ही थोड़ा थोड़ा खा लिया ।हिमाचल वालो से भी पूछा ले लो भाई पर उन्होंने मना कर दिया ।जो हमारे पास नमकीन था उसमें मिर्च थोड़ी ज्यादा थी और पानी हमारे पास कम था । खा पी कर हम फिर आगे चल पड़े काफी देर पथर आते रहे इन पथरो पर चलना थोड़ा मुश्किल होता हैं अगर थोड़ी सी भी लापरवाही की तो चोट लग सकती है या पैर में मोच भी आ सकती है।पर अब हमे थकावट नही हो रही थी इस लिए रुक कर आराम करने की जरूरत नही पड़ रही थी। अब हमें पीछे से कोई आता दिखाई दिया कोई पहाड़ी ही होगा तभी बड़ी तेजी से आ रहा था । अब दिल कर रहा था ये पथर जल्दी खत्म हो और थोड़ा तेज चले ।दूर रास्ते पर बर्फ भी नजर आ रही थी ।थोड़ी देर बाद वो जो पीछे से आ रहा था वो भी हमारे पास आ गया ये तो रोहित था जो हमे कल भीम द्वारी से थोड़ा पहले मिला था ।ये नैनसरोवर पर नहाने आया था ।इतनी ठंड में यहाँ नहाने की हिम्मत हर कोई नहीं कर सकता ।हमारे तो यहाँ ऐसे ही हाथ सुन हो रहे थे और ये यहाँ नहाने आया है ये सोच कर मुझे तो और भी ठंड चड़ गई।थोड़ी देर में नैन सरोवर भी आ गया और बर्फ़ भी। यहाँ से आगे काफी दूर तक बर्फ ही भर्फ़ नजर आ रही थी ।अब यहां पर थोड़ी देर रुक कर आराम करेगे और कुछ खायेगे ।यहाँ पहुंचते ही अक्षय तो फ़ोटो खीचने लगा और मैंने नमकीन निकाल लिया भूख बहुत लगी थी। हिमाचल वालो के पास ब्रैड और पीनट बटर था मैं भी उनके पास बैठा था मुझे उम्मीद थी वो एक बार जरूर पूछेगे आप भी ले लो ब्रैड और मैंने सोच रखा था एक बार पूछ लेने दो मना मैं भी नहीं करूंगा पर उन्होंने पूछा ही नहीं हाँ उन्होंने अपने कुत्ते को भी ब्रैड दिया अब मुझे उस कुत्ते से जलन हो रही थी।अब अक्षय और बब्बू भी फ़ोटो खिंच कर आ गए थे हमने भी अपना नमकीन और बिस्किट खाए और चल पड़े आगे ।अब पथर नही थे बर्फ़ थी बर्फ़ भी ताजी गिरी हुई थी कल गिरी होगी ।कोई निशान नही था किसी के भी पैरो का ।जब हम पैर रख रहे थे तो पैर थोड़े से बर्फ़ के अंदर जा रहे थे ।यहाँ पर हम ने रोहित को हमारे साथ आगे जाने के लिए भी मना लिया ।वो बोल रहा था मेरी दादी गुस्सा होंगी पर हम ने कहा हम समझा देंगे तुम्हारी दादी को तो रोहित मान गया। जहाँ पर बब्बू ने अक्षय से पूछा भाई सुस्त क्यू हो ,लग तो मुझे भी सुसत रहे थे पर मुझे लगा थकावट होगी इस लिए नही पूछा पर उसने बोला ऐसी कोई बात नहीं है। थोड़ी देर में बर्फ भी खत्म हो गई लेकिन चड़ाई जारी रही ।मेरे घुटने में थोड़ा दर्द होने लगा था जैसे जैसे ऊपर जा रहे थे दर्द भी बढ़ता जा रहा था ।बैग में दवाई देखी तो वो भीम द्वारी पर ही रह गयी थी दूसरे बैग में ।जब लगा अब ज्यादा तकलीफ है तो हिमाचल वालो से पेन किलर मांग ली उन्होंने एक गोली दे दी ।मैंने सोचा खाना भी मांग लेता तो शायद वो भी दे देते। पर अब सिर्फ गोली से काम चला लेते है गोली खा कर काफी आराम मिला ।अब फिर कुछ स्पीड बड़ाई गयी। हल्की हल्की भर्फ़ गिरने लगी थी।मैंने पहली बार भर्फ़ गिरते देखी थी अच्छा लग रहा था। रास्ता तो पहले ही मुश्किल था अब एक ग्लेशियर भी आ गया। मुश्किल ये थी बर्फ़ ताजी गिरी हुई थी जिस से पैर अंदर दसने का डर था और एक तरफ खाई भी थी। पर सब ने धीरे धीरे इसको पार कर ही लिया ।हिमाचल वालो में से एक लड़के को चड़ने में काफी दिक्कत हो रही थी रास्ता भी काफी मुश्किल था बर्फ भी ज्यादा थी ।और अब बर्फबारी भी ज्यादा होने लगी थी ।अब वो लड़का आगे जाने से मना करने लगा ।तो वो सभी वापिस जाने की सोचने लगे पर हमारे कहने पर एक कोशिश और करने के लिए मान गए ।रास्ता कभी बर्फ पर तो कभी पथरो का आ जाता था ।थोड़ी दूर ही गये थे कि हिमाचल वालो ने तो मना कर दिया आगे जाने के लिए मौसम भी अब काफी खराब हो गया था ।अब हम भी क्या कर सकते थे इसमे । उनको वही छोड़ कर हम आगे चले गए वो अभी वापिस नही गए थे एक पत्थर के नीचे थोड़ी जगह थी वही हमारे वापिस आने तक रुकेंगे फिर हम इक्कठे वापिस जाएगे।हम थोड़ा सा आगे गए तो एक जगह सीधी चड़ाई आ गईं ज्यादा नही थी कोई 30 मीटर के करीब होगी। जहाँ पर जोशी बोला मैं आगे नही जाऊंगा कारण इस चड़ाई पर बर्फ बहुत थी और दोनों तरफ खाई थी इस लिए वो डर गया था।ज्यादा हमने भी जोशी को नही कहा कि आगे चलो।अब हम 4 लोग बचे थे मैं,बब्बू ,अक्षय और वो लड़का रोहित। रोहित तो ऐसे चड़ गया जैसे समतल रस्ते पर जाते है फिर बारी आई बब्बू की जब भी वो ऊपर चड़ने लगता फिसल कर नीचे आ जाता कम से कम दस बार कोशिश की पर बब्बू चड़ न सका ।फिर रोहित को हमने बोला अपने मफलर से खींच ले पर वो बोला मैं छोटा हूँ आप को कैसे खींचूंगा कही मैं भी नीचे खाई में ना गिर जाऊ।वापिस हम जाना नही चाहते थे। फिर एक दो बार कोशिश करने पर बब्बू चड़ गया अब अक्षय बोला मैं भी आगे नही जा पाऊंगा पर मैंने उसे समजाया थोड़ी कोशिश करो हम चड़ जायेगे ।चार पांच बार फिसलने के बाद मैं भी चड़ गया अक्षय ने भी कोशिश की पर वो बार बार फिसल रहा था। अब उस ने साफ मना कर दिया भाई मैं नही जा सकता। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि अक्षय यहाँ से वापिस चला जायेगा। अब हम तीन ही रह गए थे। रोहित आगे चला गया था और बब्बू मुझे आवाज लगा रहा था जल्दी करो मौसम खराब हो रहा है और मैं अक्षय को वही छोड़ कर आगे बढ़ गया ।रास्ता काफी मुश्किल था बड़े-बड़े पथरो को पकड़ कर चढ़े।थोड़ा आगे गए तो फिर वैसी ही बर्फ और चड़ाई आ गई पर इस बार इतनी मुश्किल नही हुई पर पैर बर्फ में दस रहे थे जिस से बर्फ़ जूतों के अन्दर जा रही थी ।मैंने एक जगह पर पीछे मुड़कर देखा तो चारो हिमाचली और अक्षय ,जोशी वापिस जा रहे थे और ।मैं सोच रहा था कितनी पास आकर ये लोग वापिस लौट गए ।हम थोड़ा सा चले और भीम शिला आ गया ।जहाँ पर बड़े बड़े पत्थरों पर भीम ने कुछ लिखा था मेरी समझ मे तो कुछ नही आया कोशिश तो बहुत की मैंने ।बब्बू ने फिर आवाज लगा दी जल्दी करो, यार एक तो बब्बू को जल्दी बहुत रहती है। मैं आगे चल पड़ा ।इस रास्ते पर काफी बर्फ थी तो मैं वीडियो बनाने लगा तभी मेरा पैर फिसल गया एक तरफ खाई थी वो तो शुक्र है बच गया ।बब्बू ने जब देखा तो वो गुस्सा हो गया और बोला वीडियो के चक्कर मे मर जायेगा सीधा होकर चल और मोबाइल जेब मे डाल लें ।अब शिला साफ नजर आ रही थी। रोहित हमसे पहले पहुंच गया था वो अभी पूजा कर रहा था ।शिला से थोड़ा पहले एक पथर पर हमने अपना सामान रखा और बैठ गए समय देखा 12:45 ।हमने सोचा 1:15 पर ही पूजा करेगे।काफी थक भी गये थे ।बहुत देर से पानी नही पिया था जो पानी था कब का खत्म हो गया था मैंने तो कई बार बर्फ खा कर ही काम चलाया था ।पानी तो यहाँ भी नहीं था पर एक पथर से पानी की बूंदे टपक रही थी खाली बोतल को उसके नीचे रख दिया जाते समय उठा लेंगे थोड़ा पानी तो मिलेगा। फिर अपने जूते उतारे बर्फ से ही हाथ धोए ओर चल पड़े भोले को गले से लगाने ।हमारी आंखों से आंसू आ रहे थे खुशी के आंसू ।हम हैरान थे इतने लोगो मे से भोले ने हमे ही दर्शन दिए अगर ताकत की बात करे तो अक्षय और जोशी दोनो मेरे से ज्यादा दम रखते थे चड़ने का। पूरे रास्ते वो मेरे से आगे आगे ही आये थे ।अगर मानसिक ताकत की बात करे तो मैं और बब्बू दोनो काफी मजबूत है ।पर पिछले साल अक्षय ने अकेले किन्नर कैलाश की यात्रा की थी पर इस बार पता नही क्या हो गया था ।बब्बू ने तो नैन सरोवर से ही बोल दिया था आज अक्षय के चेहरे पर पहले वाली चमक नही है।शिला के सामने हम कुछ देर ऐसे ही खड़े रहे ।पहले मौसम थोड़ा खराब था जबसे यहाँ पहुंचे थे कड़क धूप निकल आई थी ।नीचे बर्फ थी पर जब किसी पथर पर पैर रखते थे तो पथर थोड़े गर्म लग रहे थे धूप की वजह से।चारो तरफ दूर दूर तक पहाड़ साफ नजर आ रहे थे ।तभी रोहित बोला जल्दी करो वापिस भी जाना है तो हमने अपने बैग से पूजा का सामान निकाला हम तो घर से कुछ लेकर नही आये थे पर जीजा जी ने दिया था उसी से पूजा की फ़ोन पर आरती और महामृत्युंजय मंत्र चलाये।जब हम पूजा कर रहे तो हमने देखा समने कीसी ने 4 कच्चे आम चढ़ाए हुए थे भोले बाबा को कोई आया होगा एक दो दिन पहले ।हम ने सोचा भोले बाबा की जगह उनके बच्चे ये खा ले तो ज्यादा अच्छा है इस लिए भोले का प्रशाद समाज कर हमने 3 आम उठा लिए।हम तीनो को एक एक आ गया और एक भोले बाबा के लिए छोड़ दिया।थोड़ी देर फ़ोटो खिंचे आस पास की पहाड़ियां देखी ।दिल तो वापिस जाने का कर ही नही रहा था। कार्तिकेय चोटी भी साफ दिख रही थी अक्षय का बहुत मन था वहाँ जाने का ।हमे अब एक घंटा हो गया था यहाँ आये हुए अब एक बार और भोले को नमस्कार किया और भोले से फिर दुबारा बुलाने का वादा लेकर वापिस चल पड़े। अपना सामान उठाया जूते पहने जो बोतल रखी थी पथर के नीचे उसमे 150 ml पानी मुश्किल से भरा था ।अभी प्यास नही लगी थी तो बोतल को बैग में रखा और भोले का जयकारा लगा कर नीचे की और चल पड़े ।अब दिल मे जो खुशी थी वो शब्दो मे बया नही की जा सकती ।जितनी देर हम ऊपर रुके थे उतना समय धूप थी जब वापिस चले तो फिर से मौसम खराब होने लगा। चड़ते समय जिस जगह बर्फ पर कम दिक्कत हुई थी वहां पर हम बहुत बार फिसले। बब्बू तो एक दो बार फिसला मैं कम से कम पांच छे बार फिसला पैंट भी थोड़ी लूस हो गयी थी जा फिर मैं थोड़ा पतला हो गया था पहाड़ चड़ कर ।जब फिसल कर गिरता तो बर्फ पैंट में कमर के पास से अंदर घुस जाती जूतो में भी चली जाती थी।इस थोड़ी सी जगह से उतरने पर ही नानी याद आ गई ।मेरा तो पिछवाड़ा भी गिर गिर कर दर्द करने लगा था।मुझे पहाड़ चड़ने से ज्यादा उतरने में दिक्कत हो रही थी ।रही सही कसर मौसम ने पूरी कर दी हल्की हल्की भर्फ़ भी पड़ने लगी। अभी तक तो रोहित हमारे साथ चल रहा था पर भीम शिला के पास आकर वो बोला मैं अब जल्दी नीचे उतरूंगा तो हमने भी उसे नही रोका ।बब्बू आराम से चल रहा था उसे कोई दिक्कत नही हो रही थीं ।थोड़ी देर बाद बर्फ भी ज्यादा गिरने लगी जैसे जैसे हम नीचे उतर रहे थे भर्फ़बारी भी तेज हो रही थी ।थोड़ी देर बाद तो धुन्ध भी छा गई रास्ता भी बड़ी मुश्किल से नजर आ रहा था ।मैंने बब्बू को बोला भाई पास ही रहना ज्यादा आगे मत निकल जाना।थोड़ी देर ऐसे ही चलते रहे । अरे ये क्या अब तो भर्फ़ की जगह ओले गिरने लगे ।जिस रास्ते पर हमें चड़ते समय पथर दिख रहे थे अब सिर्फ बर्फ़ ही बर्फ़ थी न कोई रास्ता नजर आ रहा था न कोई पथरो पर लगा पेंट का निशान ।मेरे दोनो घुटनो में भी बहुत दर्द हो रहा था ।सुबह से हमे 4 हिमाचली और रोहित के इलावा और कोई ऊपर आता जा नीचे जाता नही मिला पर दोनों कुत्ते अब भी हमारे साथ ही चल रहे थे ।मतलब आज इन दोनों कुत्तो के इलावा हम तीन लोगों ने ही दर्शन किये थे ।रास्ता अब और भी ज्यादा मुश्किल हो गया था बर्फ़ पर पैर फिसल रहा था कही कही तो बैठ कर ही उतरना पड़ा ।मुझे घुटनो के दर्द के कारण बैठने में भी बहुत मुश्किल हो रही थी ।एक जगह आ कर बब्बू बोला हम नैन सरोवर नही जायेगे दूसरी तरफ से शॉटकट मारेगे ।मैं बोला भाई कही से भी ले चल पर जल्दी ले जा अब चला नही जा रहा ।इस रास्ते पर बर्फ कही कही तो इतनी होती थी घुटनो तक पैर अंदर चला जाता बड़ी मुश्किल से उतर रहे थे ।ऊपर से बर्फ की जगह ओले पड़ रहे थे ।वो तो शुक्र था भोले का ओले छोटे थे नही तो और भी मुश्किल हो जाती। थोड़ी देर बाद फिर से पथर आ गए अब थोड़ा आराम मिला नही तो बर्फ़ पर चल चल कर हालात खराब हो गई थी ।जब तक पथर रहे स्पीड भी ठीक रही जब पथर हटे स्पीड फिर कम हो गयी। बब्बू मेरे आगे आगे तेजी से चला जा रहा था और मुझे उसकी वजह से तेज चलना पड़ रहा था ।मैं कब से भोले से दुआ कर रहा था ये ओले बन्द हो जाए अब भोले ने मेरी सुन ली पर अब ओले की जगह बारिश होने लगी हे भोले बारिश से तो ओले ही अच्छे थे ।आज से पहले मैंने बर्फ़ पड़ती नही देखी थी और आज इतनी देख ली फिर दुबारा कभी देखने की इच्छा भी नही रही। ये बर्फ़ सिर्फ शिमला जा मनाली में ही गिरती हुई अच्छी लगती है। यहां इसने हमारी हालत खराब कर दी अब बारिश ने उस से भी ज्यादा बुरी हालत कर दी । ठंड भी बढ़ गयी थी मेरे हाथ सुन्न हो गए थे होंठ भी नीले हो गए थे।अब चलने का बिल्कुल भी मन नही कर रहा था। दिल कर रहा था यही सो जाऊ जो होगा देखी जाएगी। पर फिर सोचा अब इतनी ठंड है तो रात को क्या हाल होगा ।बब्बू अब ओर ज्यादा दूर निकल गया था मैं भी थोड़ा तेज चलने लगा। पार्वती बाग के पास आकर मैं दो तीन बार गिरा एक बार तो इतनी जो से गिरा पिछवाड़ा सुन्न हो गया ।अब बारिश की वजह से कीचड़ हो गया था ।पैंट भी गिरने की वजह से कीचड़ से भर गई थी ।जूतो में मिट्टी लग गई थी जिस से ग्रिप नही बन रहा था बार -बार फिसल रहा था। अगर हम यात्रा के समय आए होते तो पार्वती बाग में टेंट होते और हम यही सो जाते पर अब तो भीम द्वारी जाना ही पड़ेगा और कोई रास्ता भी नही था ।पार्वती बाग के बाद रास्ते मे फिसलन हो रही थी तो मैं सही रास्ते को छोड़ पास में घास पर चलने लगा। घुटनो में इतना दर्द था मै बिल्कुल धिरे धीरे से चल रहा था और बब्बू आज मिल्खा सिंह बन रहा था पास होता तो उसे बोलता भाई आगे निकलने से कोई गोल्ड मैडल नही मिलने वाला । वो अब काफी आगे निकल गया था ।मुझे दूर दिखाई दे रहा था पर मैं आराम आराम से ही चल रहा था करता भी क्या तेज चला ही नही जा रहा था। अब हल्का हल्का अंधेरा भी होने लगा था और भीम द्वारी अभी काफी दूर था ।अब मुझे बब्बू दूर एक पथर पर बैठा दिख रहा था वो मेरा इंतजार कर रहा होगा क्योंकि बैग उसके पास था और टोर्च उसमे थी ।करीब 1 घंटे बाद मैं बब्बू के पास पहुंचा अंधेरा हो गया था ।जब मैं बब्बू के पास पहुँचा तो देखा जोशी वही टेंट लगा कर सो रहा था। अजीब पागल इंसान है आज तो उसके पास समय था आगे जाने का फिर भी यही पड़ा है ।हम बिना रुके आगे चल पड़े अब बब्बू और मैं साथ साथ ही चल रहे थे। अब फिर एकदम सीधी डलहान आ गई पास में ही पार्वती झरना था। इस थोड़ी सी उतराई में मेरे घुटनो की बैंड बज गई ।थोड़ी देर में हम ये डलहान उतर गए। अब फिर उस नाले को पार किया ।अब रास्ता प्लेन ही था तो हम तेजी से चलने लगे और भीम द्वारी उसी दुकान में पहुंच गए जहाँ सुबह समान रखा था ।अक्षय का पता किया तो वो आगे चला गया था रोहित की दुकान पर गया होगा पक्का ।वो चारो हिमाचली यही रुके थे उनसे फिर एक बार पेन किल्लर ली धनयवाद किया और हम आगे चल पड़े थोड़ी देर में हम रोहित की दुकान पर पहुंच गए अक्षय यही पर था। और रोहित सो रहा था उसकी दादी ने बताया आज पहली बार बिना खाय सोया है थक गया होगा। हमने अपने कपड़े उतारे पूरे गीले हो गए थे ठंड बहुत लग रही थी और भूख भी ।बब्बू के पास तो बैग में और कपड़े भी थे उसने बदल लिए। मेरे पास सिर्फ शर्ट थी वो पहन ली नीचे सिर्फ़ कच्छा बदल लिया।चूल्हे के पास बैठ कर राजमा चावल खाएं बहुत टेस्टी बने थे थोड़े और लिए पेट भर गया पर मन नही भरा। एक एक कप चाय पी और चार पांच रजाई ले कर सो गए थकावट इतनी थी कि अपने स्लीपिंग बैग भी नही उठाए। रात को मुझे ठंड बहुत लग रही थी जब रात को करवट बदलता था तो रजाई ऊपर उठ जाती थी जिससे और ज्यादा ठण्ड लगती सारी रात में मुश्किल से 1 घंटा नींद आई होगी।बाकी बाते अगले भाग में
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ये है भीम शिला इनपे भीम ने लिखा हुआ है
यात्री ऐसे घर बना देते हैं
भाई फ़ोटो नही डाली तो ऐसा लग रहा है जैसा सूखा पेड़ हो।
जवाब देंहटाएंजोशी को ले जाना गलती हो थी। सबसे अधिक मतभेद मेरा ही हुआ था उससे, जब वापिस मुड़ा तो मेरे न पहुंचने की कामना तो की ही होगी उसने।
मुझे इस बात की बड़ी खुशी हुई भाई की आप दोनों के दर्शन हुए और आप मेरे प्रति मन मे सद्भाव रखते हो।
भोले ने चाहा तो फिर से इकठ्ठे चलेंगे श्रीखण्ड। वैसे आप ने तो अबकी बार ही न करदी थी कि दुबारा नही आऊंगा,,😊😊😊😊
भाई फ़ोटो डालने लगा था पर अपलोड ही नही हुई ऐरर आ रही है
हटाएंभाई फ़ोटो डालने लगा था पर अपलोड ही नही हुई ऐरर आ रही है
हटाएंभाई फ़ोटो नही डाली तो ऐसा लग रहा है जैसा सूखा पेड़ हो।
जवाब देंहटाएंजोशी को ले जाना गलती हो थी। सबसे अधिक मतभेद मेरा ही हुआ था उससे, जब वापिस मुड़ा तो मेरे न पहुंचने की कामना तो की ही होगी उसने।
मुझे इस बात की बड़ी खुशी हुई भाई की आप दोनों के दर्शन हुए और आप मेरे प्रति मन मे सद्भाव रखते हो।
भोले ने चाहा तो फिर से इकठ्ठे चलेंगे श्रीखण्ड। वैसे आप ने तो अबकी बार ही न करदी थी कि दुबारा नही आऊंगा,,😊😊😊😊